Beautiful Shayari in Hindi - Everything you need to know further about our collection. Wherein we can some of the best and most fresh beautiful Shayari in Hindi. I hope you like and enjoy!
1. आँसू बहाने से कोई अपना नही होता, जो दिल से प्यार करते है वो रोने नही देते|
2. यूँ तो मेरे शहर में परेशानी कुछ ख़ास नही, लोग ख़ामोश हैं पर सुकून किसी के पास नही|
3. आज लफ्ज़ो को मैंने शाम को पीने पे बुलाया है, बन गयी बात अगर तो ग़ज़ल भी हो सकती है|
4. जब अँग्रेज़ी मुझे झटक कर चली जाती है, हिन्दी उठाके ऊपर अपने गले से लगाती है|
5. हमारी ज़िदगी को अधुरा कर दिया, ऐ मोहब्बत तूने अपना काम पूरा कर दिया|
6. लफ्ज़ ख़त्म हो गए अब इस रात के चलो सुबह होने का इंतज़ार करते हैं|
7. आदत नही है मुझे कुछ भी छीन लेने की, जो मिला नही प्यार से, पाने की कोशिश ही छोड़ दी|
8. पूछ रहे हैं वो मेरा हाल, जी भर रुलाने के बाद| के बहारें आयीं भी तो कब? दरख़्त जल जाने के बाद|
9. दिल से अपनाया न उसने ग़ैर भी समझा नहीं, ये भी एक रिश्ता है जिसमें कोई भी रिश्ता नहीं|
10. आजकल नाराज़ है जरा मेरा मन मुझसे वरना ज़माने से गिला तो ना कल था ना अब है|
11. लगता है मेरी नींद का किसी के साथ चक्कर चल रहा है, सारी सारी रात गायब रहती है|
12. वो रात दर्द और सितम की रात होगी, जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी, उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर, कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी|
13. वो रोए तो बहुत पर मुहं मोड़कर रोए, कोई तो मजबूरी होगी जो दिल तोड़कर रोए, मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकडे़ पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए|
14. कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते, हर एक ने धोखा दिया, किस किस को भुला देते, अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा, बयां करते तो महफ़िल को रुला देते|
15. वास्ता नही रखना तो फिर मुझपे नजर क्यूं रखता है? मैं किस हाल में जिंदा हूँ तू ये सब खबर क्यूं रखता है|
16. ज़ुलफें मत बांधा करो तुम, हवाए नाराज़ रहती हैं|
17. लङने दो ज़ुल्फों ओर हवाओ को आपस में, तुम क्यों हाथ से उनमें सुलह कराने लगती हो|
18. मुझे मालूम नहीं हुस्न की तारीफ, मगर मेरी नजर में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो|
19. इन आखों को जब जब उनका दीदार हो जाता है, दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है|
20. तुम आईना क्यूं देखती हो? बेरोज़गास करोगी क्या मेरी आखों को|
21. शायर कह कर मुझे बदनाम ना करना दोस्तो, में तो रोज़ शाम को दिन भर का हिसाब लिखता हूँ|
22. छुपी होती है लफ्जों में गहरी राज की बातें, लोग शायरी समझ के बस मुस्कुरा देते हैं|
23. कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूँ मै वो शख़्स नही, वो शायर हूँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है|
24. मिला क्या हमें, सारी उम्र मोहब्बत करके, बस एक शायरी का हुनर, एक रातों का जागना|
25. जिसको आज मुझमें हज़ारों गलतियां नज़र आती हैं, कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो मेरे हो|
26. सोंच रहे हैं आज लिखना बन्द करे, कुछ वक्त वाह वाह के लिए भी निकाला जाए|
27. तेरे वादों पर कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए, कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए|
28. कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास मोहब्बत है, हम आह तो करते हैं, फरियाद नहीं करते|
29. गुँचे मुरझाते हैं और शाख़ से गिर जाते हैं, हर कली फूल ही बन जाए ज़रूरी तो नहीं|
30. वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त, जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं|
31. मोहब्बत की तलाश में निकले हो तुम अरे ओ पागल, मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद करना हो|
32. पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम, कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी|
33. अब जुदाई के सफ़र को मेरे आसान तुम मुझे ख़्वाब में आकर न परेशान करो|
34. इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई, हम न सोए रात थक कर सो गई|
35. ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है, मोहब्बत के लिए, फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है|
36. भरी दुनिया में कोई भी नजर आता नहीं अपना, एक दौर ऐसा भी गुजर जाता है इन्सां पर|
37. मेरे गुलशन ए मोहब्बत में ख़िजाँ कहाँ से आए, कभी उसने गुल खिलाए कभी मैंने गुल खिलाए|
38. कोई हम से पूछे उन के करम ओ सितम का आलम कभी मुस्कुरा के रोए कभी रो के मुस्कुराए|
39. मैं चला शराब ख़ाने जहाँ कोई ग़म नहीं है, जिसे देखनी हो जन्नत मेरे साथ में वो आए|
40. तेज़ रफ़्तार हवाओं को ये एहसास कहाँ, शाख़ से टूटेगा पत्ता तो किधर जाएगा|
41. आज तो झगड़ा होगा तुझसे ऐ खुदा, मुश्किलें बढ़ा दी तो सब्र भी बढ़ा देता|
42. वाकिफ़ है वो मेरी कमज़ोरी से, वो रो देती है, और मैं हार जाता हूँ|
43. फ़िक्र सोती थी चैन से पहले, अब मुझे रात भर जगाती है|
44. मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो, ये एहसास हुआ, जिसे मन्ज़िल समझते थे, वो तो बेमक़सद रास्ता निकला|
45. खुशनसीब हैं बिखरे हुए यह ताश के पत्ते, बिखरने के बाद उठाने वाला तो कोई है इनको|
46. कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में, वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये|
47. कितने ही बरसों का सफर खाक हुआ, उसने जब पूछा, कहो कैसे आना हुआ|
48. अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा, तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते|
49. बदल जाते हैं वो लोग वक्त की तरह, जिन्हें हद से ज्यादा वक्त दिया जाता है|
50. नाजुक लगते थे, जो हसीन लोग, वास्ता पड़ा तो, पत्थर के निकले|
51. सुकुन मिलता है दो लफ्ज कागज पे उतार कर, चीख भी लेता हूँ, और आवाज भी नही होती|
52. कहने की तलब नहीं कुछ ऐ सनम, बस तुम्हारे आसपास होने की ख़्वाहिश है|
53. ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं, साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं|
54. हर नजर में मुमकिन नहीं है बेगुनाह रहना, वादा ये करें कि खुद की नजर में बेदाग रहें|
55. लोग पढ़ लेते है मेरी आँखों मे तेरे प्यार की शिद्दत, मुझसे तेरे इश्क़ की अब और हिफाज़त नही होती|
56. सूखे पत्ते भीगने लगे हैं, अरमानों की तरह, मौसम फिर बदल गया इंसानों की तरह|
57. उलझे हुए हैं अपनी उलझनों मे आज कल, आप ये न समझना के अब वो लगाव नहीं रहा|
58. जिनकी संगत में ख़ामोश संवाद होते हैं, अक्सर वो रिश्ते बहुत ही ख़ास होते हैं|
59. तेरी पहचान भी न खो जाए कहीं, इतने चेहरे ना बदल थोड़ी सी शोहरत के लिए|
60. तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे, मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो|
61. ख्वाहिशों का मोहल्ला बहुत बड़ा होता है, बेहतर है हम जरूरतों की गली में मुड़ जाएं|
62. सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना, कहीं कोई थक ना जाए तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते|
63. काँच जैसा बनने के बाद पता चलता है कि, उसको टूटना भी उसी की तरह पड़ता है|
64. तलाश में बीत गयी सारी ज़िंदगानी ए दिल, अब समझा कि खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नहीं होता|
65. क्यों शर्मिंदा करते हो रोज़ हाल पूछकर, हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा है|
66. जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से, बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई|
67. छुप छुप के जो आता है अभी मेरी गली में इक रोज़ मेरे साथ सर ए आम चलेगा|
68. ना वो मिलती है ना मैं रुकता हूँ, पता नहीं रास्ता गलत है या मंज़िल|
69. तुझे भूलकर भी ना भूल पायेंगे हम, बस यही एक वादा निभा पायेंगे हम|
70. मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की, वरना हम कभी महक तो कभी बहक क्यों जाते|
71. है परेशानियाँ यूँ तो, बहुत सी ज़िंदगी में, तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता|
72. कोई भी हो हर ख़्वाब तो अच्छा नही होता, बहुत ज्यादा प्यार भी अच्छा नहीं होता है|
73. मुश्किल भी तुम हो, मेरा हल भी तुम हो, होती है जो सीने में, वो हलचल भी तुम हो|
74. कसूर ना उनका है ना मेरा, हम दोनो रिश्तों की रसमें निभाते रहे, वो दोस्ती का एहसास जताते रहे, हम मोहबत को दिल में छुपाते रहे|
75. आईना फैला रहा है खुद फरेबी का ये मर्ज, हर किसी से कह रहा है आपसा कोई नहीं|
76. सफ़र में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं, न मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने|
77. बने हैं अहल ए हवस मुद्दे भी मुंसिफ भी, किसे वकील करें किससे मुंसिफी चाह|
78. रात उनको बात बात पे सौ सौ दिए जवाब, मुझको खुद अपने आप से ऐसा गुमान न था|
79. मोहब्बत थी, तो चाँद अच्छा था, उतर गई, तो दाग भी दिखने लगे|
80. ए मेरे खुदा, अगर तेरे पेन की स्याही खत्म है, तो मेरा लहू लेले, यूँ कहानियाँ अधूरी न लिखा कर|
81. अब लोग पूछते हैं हमसे तुम कुछ बदल गए हो, बताओ टूटे हुए पत्ते अब रंग भी न बदलें क्या|
82. तेरी जगह आज भी कोई नहीं ले सकता, पता नहीं वजह तेरी खूबी है या मेरी कमी|
83. तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे, जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है|
84. कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नही होते, रास्ते गवाह हैं कम्बख्त गवाही नही देते|
85. जख्म है कि दिखते नही, मगर ये मत समझिए कि दुखते नही|
86. फूल भी दे जाते हैं ज़ख़्म कभी कभी, हर फूल पर यूँ ऐतबार ना कीजिये|
87. न ज़ख्म भरे न शराब सहारा हुई, न वो वापस लौटी, न मोहब्बत दोबारा हुई|
88. वहम से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते, कसूर हर बार गल्तियों का नही होता|
89. भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आता हूँ, कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते|
90. आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन, एक सफ़र किया था मैंने ख़्वाहिशों के साथ|
91. अपने लफ्ज़ों पर गौर कर के बता, लफ्ज़ कितने थे, और तीर कितने?
92. अंजान अगर हो तो गुज़र क्यूँ नहीं जाते, पहचान रहे हो तो ठहर क्यूँ नही जाते|
93. दिल की ना सुन ये फ़कीर कर देगा, वो जो उदास बैठे हैं, नवाब थे कभी|
94. ऐ मोहब्बत तुझे पाने की कोई राह नहीं, शायद तू सिर्फ उसे ही मिलती है जिसे तेरी परवाह नही|
95. मुझे ही नहीं रहा शौक़ ए मोहब्बत वरना, तेरे शहर की खिड़कियाँ इशारे अब भी करती हैं|
96. उदासी का भी दिल नहीं लग रहा था कहीं, सो मेरे पास आकर बैठ गई है|
97. उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम ए इंतज़ार का, पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहारो का|
98. खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का, मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी|
99. वैसे ही दिन वैसी ही रातें हैं ग़ालिब, वही रोज का फ़साना लगता है, अभी महीना भी नहीं गुजरा और यह साल अभी से पुराना लगता है|
100. निगाहों से भी चोट लगती है जनाब, जब कोई देखकर भी अनदेखा कर देता है|
Beautiful Shayari in Hindi
1. आँसू बहाने से कोई अपना नही होता, जो दिल से प्यार करते है वो रोने नही देते|
2. यूँ तो मेरे शहर में परेशानी कुछ ख़ास नही, लोग ख़ामोश हैं पर सुकून किसी के पास नही|
3. आज लफ्ज़ो को मैंने शाम को पीने पे बुलाया है, बन गयी बात अगर तो ग़ज़ल भी हो सकती है|
4. जब अँग्रेज़ी मुझे झटक कर चली जाती है, हिन्दी उठाके ऊपर अपने गले से लगाती है|
5. हमारी ज़िदगी को अधुरा कर दिया, ऐ मोहब्बत तूने अपना काम पूरा कर दिया|
6. लफ्ज़ ख़त्म हो गए अब इस रात के चलो सुबह होने का इंतज़ार करते हैं|
7. आदत नही है मुझे कुछ भी छीन लेने की, जो मिला नही प्यार से, पाने की कोशिश ही छोड़ दी|
8. पूछ रहे हैं वो मेरा हाल, जी भर रुलाने के बाद| के बहारें आयीं भी तो कब? दरख़्त जल जाने के बाद|
9. दिल से अपनाया न उसने ग़ैर भी समझा नहीं, ये भी एक रिश्ता है जिसमें कोई भी रिश्ता नहीं|
10. आजकल नाराज़ है जरा मेरा मन मुझसे वरना ज़माने से गिला तो ना कल था ना अब है|
11. लगता है मेरी नींद का किसी के साथ चक्कर चल रहा है, सारी सारी रात गायब रहती है|
12. वो रात दर्द और सितम की रात होगी, जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी, उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर, कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी|
13. वो रोए तो बहुत पर मुहं मोड़कर रोए, कोई तो मजबूरी होगी जो दिल तोड़कर रोए, मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकडे़ पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए|
14. कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते, हर एक ने धोखा दिया, किस किस को भुला देते, अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा, बयां करते तो महफ़िल को रुला देते|
15. वास्ता नही रखना तो फिर मुझपे नजर क्यूं रखता है? मैं किस हाल में जिंदा हूँ तू ये सब खबर क्यूं रखता है|
16. ज़ुलफें मत बांधा करो तुम, हवाए नाराज़ रहती हैं|
17. लङने दो ज़ुल्फों ओर हवाओ को आपस में, तुम क्यों हाथ से उनमें सुलह कराने लगती हो|
18. मुझे मालूम नहीं हुस्न की तारीफ, मगर मेरी नजर में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो|
19. इन आखों को जब जब उनका दीदार हो जाता है, दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है|
20. तुम आईना क्यूं देखती हो? बेरोज़गास करोगी क्या मेरी आखों को|
21. शायर कह कर मुझे बदनाम ना करना दोस्तो, में तो रोज़ शाम को दिन भर का हिसाब लिखता हूँ|
22. छुपी होती है लफ्जों में गहरी राज की बातें, लोग शायरी समझ के बस मुस्कुरा देते हैं|
23. कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूँ मै वो शख़्स नही, वो शायर हूँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है|
24. मिला क्या हमें, सारी उम्र मोहब्बत करके, बस एक शायरी का हुनर, एक रातों का जागना|
25. जिसको आज मुझमें हज़ारों गलतियां नज़र आती हैं, कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो मेरे हो|
26. सोंच रहे हैं आज लिखना बन्द करे, कुछ वक्त वाह वाह के लिए भी निकाला जाए|
27. तेरे वादों पर कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए, कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए|
28. कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास मोहब्बत है, हम आह तो करते हैं, फरियाद नहीं करते|
29. गुँचे मुरझाते हैं और शाख़ से गिर जाते हैं, हर कली फूल ही बन जाए ज़रूरी तो नहीं|
30. वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त, जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं|
31. मोहब्बत की तलाश में निकले हो तुम अरे ओ पागल, मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद करना हो|
32. पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम, कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी|
33. अब जुदाई के सफ़र को मेरे आसान तुम मुझे ख़्वाब में आकर न परेशान करो|
34. इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई, हम न सोए रात थक कर सो गई|
35. ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है, मोहब्बत के लिए, फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है|
36. भरी दुनिया में कोई भी नजर आता नहीं अपना, एक दौर ऐसा भी गुजर जाता है इन्सां पर|
37. मेरे गुलशन ए मोहब्बत में ख़िजाँ कहाँ से आए, कभी उसने गुल खिलाए कभी मैंने गुल खिलाए|
38. कोई हम से पूछे उन के करम ओ सितम का आलम कभी मुस्कुरा के रोए कभी रो के मुस्कुराए|
39. मैं चला शराब ख़ाने जहाँ कोई ग़म नहीं है, जिसे देखनी हो जन्नत मेरे साथ में वो आए|
40. तेज़ रफ़्तार हवाओं को ये एहसास कहाँ, शाख़ से टूटेगा पत्ता तो किधर जाएगा|
41. आज तो झगड़ा होगा तुझसे ऐ खुदा, मुश्किलें बढ़ा दी तो सब्र भी बढ़ा देता|
42. वाकिफ़ है वो मेरी कमज़ोरी से, वो रो देती है, और मैं हार जाता हूँ|
43. फ़िक्र सोती थी चैन से पहले, अब मुझे रात भर जगाती है|
44. मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो, ये एहसास हुआ, जिसे मन्ज़िल समझते थे, वो तो बेमक़सद रास्ता निकला|
45. खुशनसीब हैं बिखरे हुए यह ताश के पत्ते, बिखरने के बाद उठाने वाला तो कोई है इनको|
46. कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में, वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये|
47. कितने ही बरसों का सफर खाक हुआ, उसने जब पूछा, कहो कैसे आना हुआ|
48. अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा, तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते|
49. बदल जाते हैं वो लोग वक्त की तरह, जिन्हें हद से ज्यादा वक्त दिया जाता है|
50. नाजुक लगते थे, जो हसीन लोग, वास्ता पड़ा तो, पत्थर के निकले|
51. सुकुन मिलता है दो लफ्ज कागज पे उतार कर, चीख भी लेता हूँ, और आवाज भी नही होती|
52. कहने की तलब नहीं कुछ ऐ सनम, बस तुम्हारे आसपास होने की ख़्वाहिश है|
53. ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं, साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं|
54. हर नजर में मुमकिन नहीं है बेगुनाह रहना, वादा ये करें कि खुद की नजर में बेदाग रहें|
55. लोग पढ़ लेते है मेरी आँखों मे तेरे प्यार की शिद्दत, मुझसे तेरे इश्क़ की अब और हिफाज़त नही होती|
56. सूखे पत्ते भीगने लगे हैं, अरमानों की तरह, मौसम फिर बदल गया इंसानों की तरह|
57. उलझे हुए हैं अपनी उलझनों मे आज कल, आप ये न समझना के अब वो लगाव नहीं रहा|
58. जिनकी संगत में ख़ामोश संवाद होते हैं, अक्सर वो रिश्ते बहुत ही ख़ास होते हैं|
59. तेरी पहचान भी न खो जाए कहीं, इतने चेहरे ना बदल थोड़ी सी शोहरत के लिए|
60. तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे, मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो|
61. ख्वाहिशों का मोहल्ला बहुत बड़ा होता है, बेहतर है हम जरूरतों की गली में मुड़ जाएं|
62. सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना, कहीं कोई थक ना जाए तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते|
63. काँच जैसा बनने के बाद पता चलता है कि, उसको टूटना भी उसी की तरह पड़ता है|
64. तलाश में बीत गयी सारी ज़िंदगानी ए दिल, अब समझा कि खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नहीं होता|
65. क्यों शर्मिंदा करते हो रोज़ हाल पूछकर, हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा है|
66. जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से, बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई|
67. छुप छुप के जो आता है अभी मेरी गली में इक रोज़ मेरे साथ सर ए आम चलेगा|
68. ना वो मिलती है ना मैं रुकता हूँ, पता नहीं रास्ता गलत है या मंज़िल|
69. तुझे भूलकर भी ना भूल पायेंगे हम, बस यही एक वादा निभा पायेंगे हम|
70. मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की, वरना हम कभी महक तो कभी बहक क्यों जाते|
71. है परेशानियाँ यूँ तो, बहुत सी ज़िंदगी में, तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता|
72. कोई भी हो हर ख़्वाब तो अच्छा नही होता, बहुत ज्यादा प्यार भी अच्छा नहीं होता है|
73. मुश्किल भी तुम हो, मेरा हल भी तुम हो, होती है जो सीने में, वो हलचल भी तुम हो|
74. कसूर ना उनका है ना मेरा, हम दोनो रिश्तों की रसमें निभाते रहे, वो दोस्ती का एहसास जताते रहे, हम मोहबत को दिल में छुपाते रहे|
75. आईना फैला रहा है खुद फरेबी का ये मर्ज, हर किसी से कह रहा है आपसा कोई नहीं|
76. सफ़र में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं, न मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने|
77. बने हैं अहल ए हवस मुद्दे भी मुंसिफ भी, किसे वकील करें किससे मुंसिफी चाह|
78. रात उनको बात बात पे सौ सौ दिए जवाब, मुझको खुद अपने आप से ऐसा गुमान न था|
79. मोहब्बत थी, तो चाँद अच्छा था, उतर गई, तो दाग भी दिखने लगे|
80. ए मेरे खुदा, अगर तेरे पेन की स्याही खत्म है, तो मेरा लहू लेले, यूँ कहानियाँ अधूरी न लिखा कर|
81. अब लोग पूछते हैं हमसे तुम कुछ बदल गए हो, बताओ टूटे हुए पत्ते अब रंग भी न बदलें क्या|
82. तेरी जगह आज भी कोई नहीं ले सकता, पता नहीं वजह तेरी खूबी है या मेरी कमी|
83. तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे, जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है|
84. कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नही होते, रास्ते गवाह हैं कम्बख्त गवाही नही देते|
85. जख्म है कि दिखते नही, मगर ये मत समझिए कि दुखते नही|
86. फूल भी दे जाते हैं ज़ख़्म कभी कभी, हर फूल पर यूँ ऐतबार ना कीजिये|
87. न ज़ख्म भरे न शराब सहारा हुई, न वो वापस लौटी, न मोहब्बत दोबारा हुई|
88. वहम से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते, कसूर हर बार गल्तियों का नही होता|
89. भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आता हूँ, कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते|
90. आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन, एक सफ़र किया था मैंने ख़्वाहिशों के साथ|
91. अपने लफ्ज़ों पर गौर कर के बता, लफ्ज़ कितने थे, और तीर कितने?
92. अंजान अगर हो तो गुज़र क्यूँ नहीं जाते, पहचान रहे हो तो ठहर क्यूँ नही जाते|
93. दिल की ना सुन ये फ़कीर कर देगा, वो जो उदास बैठे हैं, नवाब थे कभी|
94. ऐ मोहब्बत तुझे पाने की कोई राह नहीं, शायद तू सिर्फ उसे ही मिलती है जिसे तेरी परवाह नही|
95. मुझे ही नहीं रहा शौक़ ए मोहब्बत वरना, तेरे शहर की खिड़कियाँ इशारे अब भी करती हैं|
96. उदासी का भी दिल नहीं लग रहा था कहीं, सो मेरे पास आकर बैठ गई है|
97. उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम ए इंतज़ार का, पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहारो का|
98. खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का, मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी|
99. वैसे ही दिन वैसी ही रातें हैं ग़ालिब, वही रोज का फ़साना लगता है, अभी महीना भी नहीं गुजरा और यह साल अभी से पुराना लगता है|
100. निगाहों से भी चोट लगती है जनाब, जब कोई देखकर भी अनदेखा कर देता है|
Post a Comment