Galib Shayari in Hindi - It's for you, who are looking for Galib Shayari in Hindi. Here is the fresh and 100% unique content for you guys. So, enjoy the collection and do share the content with friends!
1. इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया, दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया|
2. आता है दाग ए हसरत ए दिल का शुमार याद, मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग|
3. आया है बे कसी ए इश्क पे रोना ग़ालिब, किसके घर जायेगा सैलाब ए बला मेरे बाद|
4. आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ खून ए जिगर होने तक|
5. कितना खौफ होता हैं शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदो से जिनके घर नहीं होते|
6. कितना दूर निकल गए रिश्ते निभाते निभाते, खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते|
7. लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में, और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते|
8. हम ने मोहबतों कि नशे में आ कर उसे खुद बना डाला, होश तब आया जब उसने कहा कि खुद किसी एक का नहीं होता|
9. अभी मशरूफ हूँ काफी, कभी फुर्सत में सोचूंगा, के तुझको याद रखने में मैं क्या क्या भूल जाता हूँ|
10. न सोचा मैंने आगे, क्या होगा मेरा हशर, तुझसे बिछड़ने का था, मातम जैसा मंज़र|
11. दिल ए नादाँ तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है|
12. हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या है|
13. ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे|
14. हाए उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गिरेबाँ होना|
15. हैं और भी दुनिया में सुख़न वर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ ए बयाँ और|
16. बुलबुल के कारोबार पे हैं, कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का|
17. इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया, दर्द की दवा पाई दर्द बे दवा पाया|
18. आता है दाग ए हसरत ए दिल का शुमार याद, मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग|
19. आया है बे कसी ए इश्क पे रोना ग़ालिब, किसके घर जायेगा सैलाब ए बला मेरे बाद|
20. तेरी वफ़ा से क्या हो तलाफी की दहर में, तेरे सिवा भी हम पे बहुत से सितम हुए|
21. की हमसे वफ़ा तो गैर उसको जफा कहते हैं, होती आई है की अच्छी को बुरी कहते हैं|
22. जी ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन, बैठे रहे तसव्वुर ए जहान किये हुए|
23. कहते तो हो यूँ कहते, यूँ कहते जो यार आता, सब कहने की बात है कुछ भी नहीं कहा जाता|
24. चांदनी रात के खामोश सितारों की क़सम, दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं|
25. आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ खून ए जिगर होने तक|
26. हैं और भी दुनिया में सुखन वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ ए बयाँ और|
27. उनके देखने से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है|
28. बे खुदी बे सबब नहीं ग़ालिब, कुछ तो है जिस की परदा-दारी है|
29. ये न थी हमारी किस्मत के विसाल ए यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता|
30. कासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ, मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में|
31. तुम न आओगे तो मरने कि है सौ ताबीरें, मौत कुछ तुम तो नहीं है कि बुला भी न सकूं|
32. रोने से और इश्क में बे बाक हो गए, धोये गए हम इतने कि बस पाक हो गए|
33. ईमान मुझे रोके है जो खीचे है मुझे कुफ्र, काबा मेरे पीछे है कायसा मेरे आगे|
34. बना कर फकीरों का हम भेष ग़ालिब, तमाशा एहल ए करम देखते हैं|
35. आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था|
36. पीने दे शराब मस्जिद में बैठ कर, या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं|
37. बस की दुश्वार है हर काम का आसान होना, आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसान होना|
38. बाज़ीचा ए अत्फाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे|
39. बाज़ीचा ए अत्फाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे|
40. तेरी यादों के है हर तरफ़ हुजूम, कितनी रोशन है मेरी तन्हाई|
42. वो ख़ुद एक सवाल बन कर रह गया, जो मेरी पूरी ज़िंदगी का जवाब था|
43. इतने कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम, आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते|
44. बहुत खुश रहते है वो लोग, जो दिलों से खेलने का हुनर जानते है|
45. ना जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की, वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की|
46. चलो मुस्कुराने की वजह ढुंढते हैं, तुम हमें ढुढो, हम तुम्हे ढुंढते हैं|
47. दिल ए गुमराह को काश ये मालूम होता, प्यार तब तक हसीन है, जब तक नहीं होता|
48. वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह, काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता|
49. उस की हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले, काश उसको भी मेरी क़िस्मत में लिखा होता|
50. काश तू भी बन जाए तेरी यादों कि तरह, न वक़्त देखे न बहाना बस चली आये|
51. काश वो आ जायें और देख कर कहें मुझसे, हम मर गये हैं क्या? जो इतने उदास रहते हो|
52. काश कि वो लौट के आयें मुझसे ये कहने, कि तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले|
53. काश तू समझ सकती मोहब्बत के उसूलो को, किसी की सांसो में समाकर उसे तन्हा नहीं करते|
54. होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह, तो मैं तेरे शहर में कभी धूप ना आने देता|
55. अभी मियान में तलवार मत रख अपनी अभी तो शहर में इक बे क़सूर बाक़ी है|
56. कुछ लोग मेरे शहर में खुशबु की तरह हैं, महसूस तो होते हैं दिखाई नहीं देते|
57. मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे|
58. जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है, तुम चुप हो मुझ से और मैं चुप हूँ सबसे|
59. हमने रोते हुए चेहरे को हँसाया है सदा, इससे बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे|
60. उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है|
61. क्या गज़ब है उसकी ख़ामोशी मुझ से बातें हज़ार करती है|
62. तुम बदले तो मजबूरियाँ थी, हम बदले तो बेवफ़ा हो गए|
63. हवाएँ हड़ताल पर हैं शायद, आज तुम्हारी खुशबू नहीं आई|
64. ये जो तुम ने खुद को बदला है, ये बदला है, या बदला है|
65. अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के, उतरना दिल में है या दिल से उतरना है|
66. ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है, जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है?
67. दुनिया वालों ने तो फकत उसको हवा दी थी, लोग तो अपने ही थे आग लगाने वाले|
68. ज़ाया ना कर अपने अल्फाज किसी के लिए, खामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है|
69. हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्हाइयों के खौफ से जो शख्स मर गया|
70. हैरान हूँ तेरा इबादत में झुका सर देखकर, ऐसा भी क्या हुआ जो खुदा याद आ गया|
71. क्यूँ हम को सुनाते हो जहन्नुम के फ़साने, इस दौर में जीने की सजा कम तो नहीं है|
72. कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा, अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे|
73. यहाँ तहज़ीब बिकती है यहाँ फरमान बिकते हैं, जरा तुम दाम तो बोलो यहाँ ईमान बिकते हैं|
74. कोई ग़म से परेशान है कोई जन्नत का तालिब है, गरज सजदे कराती है इबादत कौन करता है|
75. चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है, वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है|
76. फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी यह तबस्सुम मौत का पैगाम है|
77. वो कहानी थी, चलती रही, मै किस्सा था, खत्म हुआ|
78. अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दें इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ|
79. उसने जी भर के मुझको चाहा था, फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया|
80. तमन्ना यही है बस एक बार आये, चाहे मौत आये चाहे यार आये|
81. वो मुझे भूल ही गया होगा, इतनी मुद्दत कोई खफा नहीं रहता|
82. मत पूँछ की क्या हाल हैं मेरा तेरे पीछे, तू देख की क्या रंग हैं तेरा मेरे आगे|
83. ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ, क्यूंकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में|
84. ज़िन्दगी उसकी जिस की मौत पे ज़माना अफ़सोस करे ग़ालिब, यूँ तो हर शक्श आता हैं इस दुनिया में मरने कि लिए|
85. ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वह जगह बता जहाँ खुदा नहीं|
86. था ज़िन्दगी में मर्ग का खत्का लाग हुआ, उड़ने से पेश तर भी मेरा रंग ज़र्द था|
87. इस सादगी पर कौन ना मर जाये, लड़ते है और हाथ में तलवार भी नहीं|
88. उनके देखे जो आ जाती है रौनक, वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है|
89. उनकी देखंय सी जो आ जाती है मुंह पर रौनक, वह समझती हैं केह बीमार का हाल अच्छा है|
90. कितना खौफ होता है शाम के अंधेरूँ में, पूँछ उन परिंदों से जिन के घर नहीं होते|
91. रखते के तुम्हें उस्ताद नहीं हो ग़ालिब कहते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था|
92. फिर उसी बेवफा पे मरते हैं, फिर वही ज़िन्दगी हमारी है|
93. मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है, कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है|
94. उस पर उतरने की उम्मीद बहोत कम है, कश्ती भी पुरानी है और तूफ़ान को भी आना है|
95. यह इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये, एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है|
96. क्यों न चीखूँ की याद करते हैं, मेरी आवाज़ गर नहीं आती|
97. हम वहाँ हैं जहां से हमको भी, कुछ हमारी खबर नहीं आती|
98. जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है?
99. हथून कीय लकीरून पय मैट जा ऐ ग़ालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते|
100. हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मीरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले|Galib Shayari In Hindi
1.इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया, दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया|
2. आता है दाग ए हसरत ए दिल का शुमार याद, मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग|
3. आया है बे कसी ए इश्क पे रोना ग़ालिब, किसके घर जायेगा सैलाब ए बला मेरे बाद|
4. आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ खून ए जिगर होने तक|
5. कितना खौफ होता हैं शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदो से जिनके घर नहीं होते|
6. कितना दूर निकल गए रिश्ते निभाते निभाते, खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते|
7. लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में, और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते|
8. हम ने मोहबतों कि नशे में आ कर उसे खुद बना डाला, होश तब आया जब उसने कहा कि खुद किसी एक का नहीं होता|
9. अभी मशरूफ हूँ काफी, कभी फुर्सत में सोचूंगा, के तुझको याद रखने में मैं क्या क्या भूल जाता हूँ|
10. न सोचा मैंने आगे, क्या होगा मेरा हशर, तुझसे बिछड़ने का था, मातम जैसा मंज़र|
11. दिल ए नादाँ तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है|
12. हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या है|
13. ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे|
14. हाए उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गिरेबाँ होना|
15. हैं और भी दुनिया में सुख़न वर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ ए बयाँ और|
16. बुलबुल के कारोबार पे हैं, कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का|
17. इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया, दर्द की दवा पाई दर्द बे दवा पाया|
18. आता है दाग ए हसरत ए दिल का शुमार याद, मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग|
19. आया है बे कसी ए इश्क पे रोना ग़ालिब, किसके घर जायेगा सैलाब ए बला मेरे बाद|
20. तेरी वफ़ा से क्या हो तलाफी की दहर में, तेरे सिवा भी हम पे बहुत से सितम हुए|
21. की हमसे वफ़ा तो गैर उसको जफा कहते हैं, होती आई है की अच्छी को बुरी कहते हैं|
22. जी ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन, बैठे रहे तसव्वुर ए जहान किये हुए|
23. कहते तो हो यूँ कहते, यूँ कहते जो यार आता, सब कहने की बात है कुछ भी नहीं कहा जाता|
24. चांदनी रात के खामोश सितारों की क़सम, दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं|
25. आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ खून ए जिगर होने तक|
26. हैं और भी दुनिया में सुखन वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ ए बयाँ और|
27. उनके देखने से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है|
28. बे खुदी बे सबब नहीं ग़ालिब, कुछ तो है जिस की परदा-दारी है|
29. ये न थी हमारी किस्मत के विसाल ए यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता|
30. कासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ, मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में|
31. तुम न आओगे तो मरने कि है सौ ताबीरें, मौत कुछ तुम तो नहीं है कि बुला भी न सकूं|
32. रोने से और इश्क में बे बाक हो गए, धोये गए हम इतने कि बस पाक हो गए|
33. ईमान मुझे रोके है जो खीचे है मुझे कुफ्र, काबा मेरे पीछे है कायसा मेरे आगे|
34. बना कर फकीरों का हम भेष ग़ालिब, तमाशा एहल ए करम देखते हैं|
35. आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था|
36. पीने दे शराब मस्जिद में बैठ कर, या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं|
37. बस की दुश्वार है हर काम का आसान होना, आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसान होना|
38. बाज़ीचा ए अत्फाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे|
39. बाज़ीचा ए अत्फाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे|
40. तेरी यादों के है हर तरफ़ हुजूम, कितनी रोशन है मेरी तन्हाई|
42. वो ख़ुद एक सवाल बन कर रह गया, जो मेरी पूरी ज़िंदगी का जवाब था|
43. इतने कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम, आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते|
44. बहुत खुश रहते है वो लोग, जो दिलों से खेलने का हुनर जानते है|
45. ना जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की, वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की|
46. चलो मुस्कुराने की वजह ढुंढते हैं, तुम हमें ढुढो, हम तुम्हे ढुंढते हैं|
47. दिल ए गुमराह को काश ये मालूम होता, प्यार तब तक हसीन है, जब तक नहीं होता|
48. वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह, काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता|
49. उस की हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले, काश उसको भी मेरी क़िस्मत में लिखा होता|
50. काश तू भी बन जाए तेरी यादों कि तरह, न वक़्त देखे न बहाना बस चली आये|
51. काश वो आ जायें और देख कर कहें मुझसे, हम मर गये हैं क्या? जो इतने उदास रहते हो|
52. काश कि वो लौट के आयें मुझसे ये कहने, कि तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले|
53. काश तू समझ सकती मोहब्बत के उसूलो को, किसी की सांसो में समाकर उसे तन्हा नहीं करते|
54. होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह, तो मैं तेरे शहर में कभी धूप ना आने देता|
55. अभी मियान में तलवार मत रख अपनी अभी तो शहर में इक बे क़सूर बाक़ी है|
56. कुछ लोग मेरे शहर में खुशबु की तरह हैं, महसूस तो होते हैं दिखाई नहीं देते|
57. मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे|
58. जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है, तुम चुप हो मुझ से और मैं चुप हूँ सबसे|
59. हमने रोते हुए चेहरे को हँसाया है सदा, इससे बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे|
60. उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है|
61. क्या गज़ब है उसकी ख़ामोशी मुझ से बातें हज़ार करती है|
62. तुम बदले तो मजबूरियाँ थी, हम बदले तो बेवफ़ा हो गए|
63. हवाएँ हड़ताल पर हैं शायद, आज तुम्हारी खुशबू नहीं आई|
64. ये जो तुम ने खुद को बदला है, ये बदला है, या बदला है|
65. अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के, उतरना दिल में है या दिल से उतरना है|
66. ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है, जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है?
67. दुनिया वालों ने तो फकत उसको हवा दी थी, लोग तो अपने ही थे आग लगाने वाले|
68. ज़ाया ना कर अपने अल्फाज किसी के लिए, खामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है|
69. हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्हाइयों के खौफ से जो शख्स मर गया|
70. हैरान हूँ तेरा इबादत में झुका सर देखकर, ऐसा भी क्या हुआ जो खुदा याद आ गया|
71. क्यूँ हम को सुनाते हो जहन्नुम के फ़साने, इस दौर में जीने की सजा कम तो नहीं है|
72. कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा, अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे|
73. यहाँ तहज़ीब बिकती है यहाँ फरमान बिकते हैं, जरा तुम दाम तो बोलो यहाँ ईमान बिकते हैं|
74. कोई ग़म से परेशान है कोई जन्नत का तालिब है, गरज सजदे कराती है इबादत कौन करता है|
75. चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है, वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है|
76. फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी यह तबस्सुम मौत का पैगाम है|
77. वो कहानी थी, चलती रही, मै किस्सा था, खत्म हुआ|
78. अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दें इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ|
79. उसने जी भर के मुझको चाहा था, फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया|
80. तमन्ना यही है बस एक बार आये, चाहे मौत आये चाहे यार आये|
81. वो मुझे भूल ही गया होगा, इतनी मुद्दत कोई खफा नहीं रहता|
82. मत पूँछ की क्या हाल हैं मेरा तेरे पीछे, तू देख की क्या रंग हैं तेरा मेरे आगे|
83. ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ, क्यूंकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में|
84. ज़िन्दगी उसकी जिस की मौत पे ज़माना अफ़सोस करे ग़ालिब, यूँ तो हर शक्श आता हैं इस दुनिया में मरने कि लिए|
85. ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वह जगह बता जहाँ खुदा नहीं|
86. था ज़िन्दगी में मर्ग का खत्का लाग हुआ, उड़ने से पेश तर भी मेरा रंग ज़र्द था|
87. इस सादगी पर कौन ना मर जाये, लड़ते है और हाथ में तलवार भी नहीं|
88. उनके देखे जो आ जाती है रौनक, वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है|
89. उनकी देखंय सी जो आ जाती है मुंह पर रौनक, वह समझती हैं केह बीमार का हाल अच्छा है|
90. कितना खौफ होता है शाम के अंधेरूँ में, पूँछ उन परिंदों से जिन के घर नहीं होते|
91. रखते के तुम्हें उस्ताद नहीं हो ग़ालिब कहते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था|
92. फिर उसी बेवफा पे मरते हैं, फिर वही ज़िन्दगी हमारी है|
93. मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है, कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है|
94. उस पर उतरने की उम्मीद बहोत कम है, कश्ती भी पुरानी है और तूफ़ान को भी आना है|
95. यह इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये, एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है|
96. क्यों न चीखूँ की याद करते हैं, मेरी आवाज़ गर नहीं आती|
97. हम वहाँ हैं जहां से हमको भी, कुछ हमारी खबर नहीं आती|
98. जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है?
99. हथून कीय लकीरून पय मैट जा ऐ ग़ालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते|
100. हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मीरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले|
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2. आता है दाग ए हसरत ए दिल का शुमार याद, मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग|
3. आया है बे कसी ए इश्क पे रोना ग़ालिब, किसके घर जायेगा सैलाब ए बला मेरे बाद|
4. आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ खून ए जिगर होने तक|
5. कितना खौफ होता हैं शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदो से जिनके घर नहीं होते|
6. कितना दूर निकल गए रिश्ते निभाते निभाते, खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते|
7. लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में, और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते|
8. हम ने मोहबतों कि नशे में आ कर उसे खुद बना डाला, होश तब आया जब उसने कहा कि खुद किसी एक का नहीं होता|
9. अभी मशरूफ हूँ काफी, कभी फुर्सत में सोचूंगा, के तुझको याद रखने में मैं क्या क्या भूल जाता हूँ|
10. न सोचा मैंने आगे, क्या होगा मेरा हशर, तुझसे बिछड़ने का था, मातम जैसा मंज़र|
11. दिल ए नादाँ तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है|
12. हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या है|
13. ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे|
14. हाए उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गिरेबाँ होना|
15. हैं और भी दुनिया में सुख़न वर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ ए बयाँ और|
16. बुलबुल के कारोबार पे हैं, कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का|
17. इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया, दर्द की दवा पाई दर्द बे दवा पाया|
18. आता है दाग ए हसरत ए दिल का शुमार याद, मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग|
19. आया है बे कसी ए इश्क पे रोना ग़ालिब, किसके घर जायेगा सैलाब ए बला मेरे बाद|
20. तेरी वफ़ा से क्या हो तलाफी की दहर में, तेरे सिवा भी हम पे बहुत से सितम हुए|
21. की हमसे वफ़ा तो गैर उसको जफा कहते हैं, होती आई है की अच्छी को बुरी कहते हैं|
22. जी ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन, बैठे रहे तसव्वुर ए जहान किये हुए|
23. कहते तो हो यूँ कहते, यूँ कहते जो यार आता, सब कहने की बात है कुछ भी नहीं कहा जाता|
24. चांदनी रात के खामोश सितारों की क़सम, दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं|
25. आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ खून ए जिगर होने तक|
26. हैं और भी दुनिया में सुखन वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ ए बयाँ और|
27. उनके देखने से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है|
28. बे खुदी बे सबब नहीं ग़ालिब, कुछ तो है जिस की परदा-दारी है|
29. ये न थी हमारी किस्मत के विसाल ए यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता|
30. कासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ, मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में|
31. तुम न आओगे तो मरने कि है सौ ताबीरें, मौत कुछ तुम तो नहीं है कि बुला भी न सकूं|
32. रोने से और इश्क में बे बाक हो गए, धोये गए हम इतने कि बस पाक हो गए|
33. ईमान मुझे रोके है जो खीचे है मुझे कुफ्र, काबा मेरे पीछे है कायसा मेरे आगे|
34. बना कर फकीरों का हम भेष ग़ालिब, तमाशा एहल ए करम देखते हैं|
35. आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था|
36. पीने दे शराब मस्जिद में बैठ कर, या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं|
37. बस की दुश्वार है हर काम का आसान होना, आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसान होना|
38. बाज़ीचा ए अत्फाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे|
39. बाज़ीचा ए अत्फाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे|
40. तेरी यादों के है हर तरफ़ हुजूम, कितनी रोशन है मेरी तन्हाई|
42. वो ख़ुद एक सवाल बन कर रह गया, जो मेरी पूरी ज़िंदगी का जवाब था|
43. इतने कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम, आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते|
44. बहुत खुश रहते है वो लोग, जो दिलों से खेलने का हुनर जानते है|
45. ना जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की, वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की|
46. चलो मुस्कुराने की वजह ढुंढते हैं, तुम हमें ढुढो, हम तुम्हे ढुंढते हैं|
47. दिल ए गुमराह को काश ये मालूम होता, प्यार तब तक हसीन है, जब तक नहीं होता|
48. वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह, काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता|
49. उस की हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले, काश उसको भी मेरी क़िस्मत में लिखा होता|
50. काश तू भी बन जाए तेरी यादों कि तरह, न वक़्त देखे न बहाना बस चली आये|
51. काश वो आ जायें और देख कर कहें मुझसे, हम मर गये हैं क्या? जो इतने उदास रहते हो|
52. काश कि वो लौट के आयें मुझसे ये कहने, कि तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले|
53. काश तू समझ सकती मोहब्बत के उसूलो को, किसी की सांसो में समाकर उसे तन्हा नहीं करते|
54. होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह, तो मैं तेरे शहर में कभी धूप ना आने देता|
55. अभी मियान में तलवार मत रख अपनी अभी तो शहर में इक बे क़सूर बाक़ी है|
56. कुछ लोग मेरे शहर में खुशबु की तरह हैं, महसूस तो होते हैं दिखाई नहीं देते|
57. मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे|
58. जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है, तुम चुप हो मुझ से और मैं चुप हूँ सबसे|
59. हमने रोते हुए चेहरे को हँसाया है सदा, इससे बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे|
60. उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है|
61. क्या गज़ब है उसकी ख़ामोशी मुझ से बातें हज़ार करती है|
62. तुम बदले तो मजबूरियाँ थी, हम बदले तो बेवफ़ा हो गए|
63. हवाएँ हड़ताल पर हैं शायद, आज तुम्हारी खुशबू नहीं आई|
64. ये जो तुम ने खुद को बदला है, ये बदला है, या बदला है|
65. अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के, उतरना दिल में है या दिल से उतरना है|
66. ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है, जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है?
67. दुनिया वालों ने तो फकत उसको हवा दी थी, लोग तो अपने ही थे आग लगाने वाले|
68. ज़ाया ना कर अपने अल्फाज किसी के लिए, खामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है|
69. हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्हाइयों के खौफ से जो शख्स मर गया|
70. हैरान हूँ तेरा इबादत में झुका सर देखकर, ऐसा भी क्या हुआ जो खुदा याद आ गया|
71. क्यूँ हम को सुनाते हो जहन्नुम के फ़साने, इस दौर में जीने की सजा कम तो नहीं है|
72. कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा, अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे|
73. यहाँ तहज़ीब बिकती है यहाँ फरमान बिकते हैं, जरा तुम दाम तो बोलो यहाँ ईमान बिकते हैं|
74. कोई ग़म से परेशान है कोई जन्नत का तालिब है, गरज सजदे कराती है इबादत कौन करता है|
75. चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है, वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है|
76. फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी यह तबस्सुम मौत का पैगाम है|
77. वो कहानी थी, चलती रही, मै किस्सा था, खत्म हुआ|
78. अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दें इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ|
79. उसने जी भर के मुझको चाहा था, फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया|
80. तमन्ना यही है बस एक बार आये, चाहे मौत आये चाहे यार आये|
81. वो मुझे भूल ही गया होगा, इतनी मुद्दत कोई खफा नहीं रहता|
82. मत पूँछ की क्या हाल हैं मेरा तेरे पीछे, तू देख की क्या रंग हैं तेरा मेरे आगे|
83. ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ, क्यूंकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में|
84. ज़िन्दगी उसकी जिस की मौत पे ज़माना अफ़सोस करे ग़ालिब, यूँ तो हर शक्श आता हैं इस दुनिया में मरने कि लिए|
85. ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वह जगह बता जहाँ खुदा नहीं|
86. था ज़िन्दगी में मर्ग का खत्का लाग हुआ, उड़ने से पेश तर भी मेरा रंग ज़र्द था|
87. इस सादगी पर कौन ना मर जाये, लड़ते है और हाथ में तलवार भी नहीं|
88. उनके देखे जो आ जाती है रौनक, वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है|
89. उनकी देखंय सी जो आ जाती है मुंह पर रौनक, वह समझती हैं केह बीमार का हाल अच्छा है|
90. कितना खौफ होता है शाम के अंधेरूँ में, पूँछ उन परिंदों से जिन के घर नहीं होते|
91. रखते के तुम्हें उस्ताद नहीं हो ग़ालिब कहते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था|
92. फिर उसी बेवफा पे मरते हैं, फिर वही ज़िन्दगी हमारी है|
93. मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है, कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है|
94. उस पर उतरने की उम्मीद बहोत कम है, कश्ती भी पुरानी है और तूफ़ान को भी आना है|
95. यह इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये, एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है|
96. क्यों न चीखूँ की याद करते हैं, मेरी आवाज़ गर नहीं आती|
97. हम वहाँ हैं जहां से हमको भी, कुछ हमारी खबर नहीं आती|
98. जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है?
99. हथून कीय लकीरून पय मैट जा ऐ ग़ालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते|
100. हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मीरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले|Galib Shayari In Hindi
1.इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया, दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया|
2. आता है दाग ए हसरत ए दिल का शुमार याद, मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग|
3. आया है बे कसी ए इश्क पे रोना ग़ालिब, किसके घर जायेगा सैलाब ए बला मेरे बाद|
4. आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ खून ए जिगर होने तक|
5. कितना खौफ होता हैं शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदो से जिनके घर नहीं होते|
6. कितना दूर निकल गए रिश्ते निभाते निभाते, खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते|
7. लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में, और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते|
8. हम ने मोहबतों कि नशे में आ कर उसे खुद बना डाला, होश तब आया जब उसने कहा कि खुद किसी एक का नहीं होता|
9. अभी मशरूफ हूँ काफी, कभी फुर्सत में सोचूंगा, के तुझको याद रखने में मैं क्या क्या भूल जाता हूँ|
10. न सोचा मैंने आगे, क्या होगा मेरा हशर, तुझसे बिछड़ने का था, मातम जैसा मंज़र|
11. दिल ए नादाँ तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है|
12. हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या है|
13. ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे|
14. हाए उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गिरेबाँ होना|
15. हैं और भी दुनिया में सुख़न वर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ ए बयाँ और|
16. बुलबुल के कारोबार पे हैं, कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का|
17. इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया, दर्द की दवा पाई दर्द बे दवा पाया|
18. आता है दाग ए हसरत ए दिल का शुमार याद, मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग|
19. आया है बे कसी ए इश्क पे रोना ग़ालिब, किसके घर जायेगा सैलाब ए बला मेरे बाद|
20. तेरी वफ़ा से क्या हो तलाफी की दहर में, तेरे सिवा भी हम पे बहुत से सितम हुए|
21. की हमसे वफ़ा तो गैर उसको जफा कहते हैं, होती आई है की अच्छी को बुरी कहते हैं|
22. जी ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन, बैठे रहे तसव्वुर ए जहान किये हुए|
23. कहते तो हो यूँ कहते, यूँ कहते जो यार आता, सब कहने की बात है कुछ भी नहीं कहा जाता|
24. चांदनी रात के खामोश सितारों की क़सम, दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं|
25. आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ खून ए जिगर होने तक|
26. हैं और भी दुनिया में सुखन वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ ए बयाँ और|
27. उनके देखने से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है|
28. बे खुदी बे सबब नहीं ग़ालिब, कुछ तो है जिस की परदा-दारी है|
29. ये न थी हमारी किस्मत के विसाल ए यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता|
30. कासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ, मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में|
31. तुम न आओगे तो मरने कि है सौ ताबीरें, मौत कुछ तुम तो नहीं है कि बुला भी न सकूं|
32. रोने से और इश्क में बे बाक हो गए, धोये गए हम इतने कि बस पाक हो गए|
33. ईमान मुझे रोके है जो खीचे है मुझे कुफ्र, काबा मेरे पीछे है कायसा मेरे आगे|
34. बना कर फकीरों का हम भेष ग़ालिब, तमाशा एहल ए करम देखते हैं|
35. आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था|
36. पीने दे शराब मस्जिद में बैठ कर, या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं|
37. बस की दुश्वार है हर काम का आसान होना, आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसान होना|
38. बाज़ीचा ए अत्फाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे|
39. बाज़ीचा ए अत्फाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे|
40. तेरी यादों के है हर तरफ़ हुजूम, कितनी रोशन है मेरी तन्हाई|
42. वो ख़ुद एक सवाल बन कर रह गया, जो मेरी पूरी ज़िंदगी का जवाब था|
43. इतने कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम, आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते|
44. बहुत खुश रहते है वो लोग, जो दिलों से खेलने का हुनर जानते है|
45. ना जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की, वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की|
46. चलो मुस्कुराने की वजह ढुंढते हैं, तुम हमें ढुढो, हम तुम्हे ढुंढते हैं|
47. दिल ए गुमराह को काश ये मालूम होता, प्यार तब तक हसीन है, जब तक नहीं होता|
48. वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह, काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता|
49. उस की हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले, काश उसको भी मेरी क़िस्मत में लिखा होता|
50. काश तू भी बन जाए तेरी यादों कि तरह, न वक़्त देखे न बहाना बस चली आये|
51. काश वो आ जायें और देख कर कहें मुझसे, हम मर गये हैं क्या? जो इतने उदास रहते हो|
52. काश कि वो लौट के आयें मुझसे ये कहने, कि तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले|
53. काश तू समझ सकती मोहब्बत के उसूलो को, किसी की सांसो में समाकर उसे तन्हा नहीं करते|
54. होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह, तो मैं तेरे शहर में कभी धूप ना आने देता|
55. अभी मियान में तलवार मत रख अपनी अभी तो शहर में इक बे क़सूर बाक़ी है|
56. कुछ लोग मेरे शहर में खुशबु की तरह हैं, महसूस तो होते हैं दिखाई नहीं देते|
57. मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे|
58. जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है, तुम चुप हो मुझ से और मैं चुप हूँ सबसे|
59. हमने रोते हुए चेहरे को हँसाया है सदा, इससे बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे|
60. उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है|
61. क्या गज़ब है उसकी ख़ामोशी मुझ से बातें हज़ार करती है|
62. तुम बदले तो मजबूरियाँ थी, हम बदले तो बेवफ़ा हो गए|
63. हवाएँ हड़ताल पर हैं शायद, आज तुम्हारी खुशबू नहीं आई|
64. ये जो तुम ने खुद को बदला है, ये बदला है, या बदला है|
65. अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के, उतरना दिल में है या दिल से उतरना है|
66. ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है, जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है?
67. दुनिया वालों ने तो फकत उसको हवा दी थी, लोग तो अपने ही थे आग लगाने वाले|
68. ज़ाया ना कर अपने अल्फाज किसी के लिए, खामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है|
69. हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्हाइयों के खौफ से जो शख्स मर गया|
70. हैरान हूँ तेरा इबादत में झुका सर देखकर, ऐसा भी क्या हुआ जो खुदा याद आ गया|
71. क्यूँ हम को सुनाते हो जहन्नुम के फ़साने, इस दौर में जीने की सजा कम तो नहीं है|
72. कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा, अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे|
73. यहाँ तहज़ीब बिकती है यहाँ फरमान बिकते हैं, जरा तुम दाम तो बोलो यहाँ ईमान बिकते हैं|
74. कोई ग़म से परेशान है कोई जन्नत का तालिब है, गरज सजदे कराती है इबादत कौन करता है|
75. चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है, वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है|
76. फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी यह तबस्सुम मौत का पैगाम है|
77. वो कहानी थी, चलती रही, मै किस्सा था, खत्म हुआ|
78. अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दें इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ|
79. उसने जी भर के मुझको चाहा था, फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया|
80. तमन्ना यही है बस एक बार आये, चाहे मौत आये चाहे यार आये|
81. वो मुझे भूल ही गया होगा, इतनी मुद्दत कोई खफा नहीं रहता|
82. मत पूँछ की क्या हाल हैं मेरा तेरे पीछे, तू देख की क्या रंग हैं तेरा मेरे आगे|
83. ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ, क्यूंकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में|
84. ज़िन्दगी उसकी जिस की मौत पे ज़माना अफ़सोस करे ग़ालिब, यूँ तो हर शक्श आता हैं इस दुनिया में मरने कि लिए|
85. ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वह जगह बता जहाँ खुदा नहीं|
86. था ज़िन्दगी में मर्ग का खत्का लाग हुआ, उड़ने से पेश तर भी मेरा रंग ज़र्द था|
87. इस सादगी पर कौन ना मर जाये, लड़ते है और हाथ में तलवार भी नहीं|
88. उनके देखे जो आ जाती है रौनक, वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है|
89. उनकी देखंय सी जो आ जाती है मुंह पर रौनक, वह समझती हैं केह बीमार का हाल अच्छा है|
90. कितना खौफ होता है शाम के अंधेरूँ में, पूँछ उन परिंदों से जिन के घर नहीं होते|
91. रखते के तुम्हें उस्ताद नहीं हो ग़ालिब कहते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था|
92. फिर उसी बेवफा पे मरते हैं, फिर वही ज़िन्दगी हमारी है|
93. मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है, कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है|
94. उस पर उतरने की उम्मीद बहोत कम है, कश्ती भी पुरानी है और तूफ़ान को भी आना है|
95. यह इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये, एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है|
96. क्यों न चीखूँ की याद करते हैं, मेरी आवाज़ गर नहीं आती|
97. हम वहाँ हैं जहां से हमको भी, कुछ हमारी खबर नहीं आती|
98. जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है?
99. हथून कीय लकीरून पय मैट जा ऐ ग़ालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते|
100. हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मीरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले|
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